एआई तकनीकी के सिंचाई यंत्र व कूड़ेदान से मुश्किलें होंगी आसान
यूपी बाल विज्ञान कांग्रेस में आए नन्हें वैज्ञानिकों के अनुसंधान काबिले तारीफ हैं। निर्णायक मंडल ने प्रेजेंटेशन देखकर सभी को शबाशी दी और बताया कि नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए जाएंगे। आरपीएम एकेडमी ग्रीन सिटी गोरखनाथ में चल रहे बाल विज्ञान कांग्रेस में गुरुवार रात करीब 11 बजे तक सभी 300 बाल वैज्ञानिकों के अनुसंधान व सर्वे रिपोर्ट का मूल्यांकन पूरा हुआ।
शुक्रवार को दोपहर बाद दो बजे इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम का समापन होगा। बाल वैज्ञानिकों ने प्रेजेंटेशन के दौरान अपने प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी। किसी ने आर्टीफिशियल तकनीकी आधारित ऐसा सिंचाई यंत्र तैयार किया है जो फसलों की जरूरत जान लेगा और जरूरत भर पानी चला देगा। वहीं किसी ने सेंसर आधारित स्मार्ट कूड़ेदान बनाया है तो किसी ने ठीक वक्त पर सर्विसिंग की सूचना देने वाला स्मार्ट साइलेंसर।
फसलों की जरूरत पर सिंचाई कर देगा शाश्वत का यंत्र
सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल देवरिया के 9वीं के छात्र शाश्वत ने ऐसा यंत्र बनाया है, जो फसलों की जरूरत समझ कर खुद समय से सिंचाई कर देगा और जरूरत पूरी करने के तत्काल बाद बंद भी हो जाएगा। शाश्वत ने इसमें आर्टीफिशियल तकनीकी का प्रयोग किया है। इसे खेत में ट्यूबवेल के साथ फिट किया जाएगा। सेंसर से यह यंत्र फसलों की जरूरत जान लेगा और उसी अनुसार सिंचाई करेगा। इसका लिंक किसान के मोबाइल से भी जुड़ा है, जिसके जरिये किसान को संदेश भी पहुंचता रहेगा। शाश्वत ने बताया कि इसमें पंप से जुड़ी लोहे की मोटी पाइप की जगह पतली प्लास्टिक की पाइप का इस्तेमाल किया गया है। खर्च मामूली पड़ेगा। शाश्वत के मेंटर व गाइड उन्हीं के स्कूल के 12वीं के छात्र सागर सिंह हैं।
फसलों की नील गाय व जंगली सुअरों से रक्षा करेगा ओजस्वी का उपाय
देवरिया के ही इशारा पब्लिक स्कूल की 8वीं की छात्रा ओजस्वी यादव ने फसलों की रक्षा के लिए इंसान के बाल से फसलों के चारों ओर घेरा बनाने का उपाय सुझाया है। वह अपने गांव गोपालपुर, तरकुलवा स्थित अपने व गांव के अन्य लोगों के खेतों में इसका परीक्षण भी कर चुकी हैं। उन्होंने परीक्षण में पाया है कि उनकी तकनीकी से केवल 10 से 20 फीसदी फसलों का ही नुकसान होता है। वरना हर साल खेतों में नील गाय व जंगली सुअरों से 50 से 60 फीसदी फसलों का नुकसान होता था। ओजस्वी ने बताया कि इन पशुओं की खूबी यह है कि यह हमेशा सूंघ कर आगे बढ़ते हैं। सूंघने की इनकी शक्ति बहुत तेज होती है। सूंघने पर बाल इनके नाक में चले जाते हैं और वह वहीं से परेशान होकर लौट जाते हैं। इशारों से अन्य साथियों को भी इसके प्रति आगाह कर देते हैं। इंसान के बाल किसी भी मेंस पार्लर से हासिल किए जा सकते हैं।
कुशीनगर के अजय ने बनाया सेंसर आधारित सस्ता कूड़ेदान
कुशीनगर के किसान इंटर कॉलेज साखोपार में 11वीं के छात्र अजय पटेल ने शिक्षक यशवंत सिंह के निर्देशन में स्मार्ट कूड़ेदान बनाया है। अजय के पिता किसान हैं और बेहद साधारण परिवार के हैं। उनका कूड़ेदान सेंसर पर आधारित है। इंसान के सामने आते ही ढक्कन खुल जाएगा। कूड़ा डालने के बाद बंद हो जाता है। इस पात्र में नीचे शटर लगा हुआ है। कूड़ा निकालने के लिए छोटी सी ट्राली भी बनाई गई है। इसके प्रयोग से कूड़ा निकालने के लिए हाथ का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा। स्मार्ट कूड़ेदान बनाने पर कुल खर्च 800 रुपये आया है। बाजार में प्रति कूड़ेदान की खरीद पर करीब 1500 रुपये न्यूनतम खर्च आता है। उसकी अपेक्षा स्मार्ट कूड़ेदान सस्ता व प्रयोगकर्ताओं के लिए बेहद कारगर होगा। यशवंत सिंह ने बताया कि स्कूल में अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना के बाद सेंसर आधारित प्रयोग की सुविधा मिल गई है।
9वीं के छात्र ने बनाया साइलेंसर का सेंसर, बताएगा गाड़ी की सर्विस जरूरी
किसान इंटर कॉलेज साखोपार के नवीं के छात्र राहुल सोनी ने स्मार्ट साइलेंसर बनाया है, जो गाड़ी में धुआं अधिक होते ही चालक को आवाज कर सिग्नल दे देगा कि अब गाड़ी की सर्विसिंग करा लें। सेंसर आधारित राहुल का उपकरण साइलेंसर में फिट होगा और इसका संदेश चालक के सामने सिग्नल के रूप में लगा होगा। राहुल ने बताया कि प्रदूषण आज की बड़ी समस्या है और धुआं इसे बढ़ाता है। गाड़ी चालक को अमूमन मैकेनिक ही बताता है कि अगली सर्विसिंग कब करानी है और इसमें कई बार देर भी हो जाती है। देरी के चलते प्रदूषण फैलता है। स्मार्ट साइलेंसर से प्रदूषण पर नियंत्रण होगा।